हाइलाइट्स
राज्य सरकार मूल असमिया मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक सर्वे करेगी.
असम कैबिनेट की भैंसे और सांडों की लड़ाई पर एसओपी जारी करने को भी सैद्धांतिक मंजूरी.
गोरिया, मोरिया, जोलाह, देसी और सैयद को मूल असमिया मुसलमान माना गया है.
गुवाहाटी. असम सरकार ने कहा कि वह राज्य में मूल असमिया मुसलमानों (Native Muslims) का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन करेगी. मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) की अध्यक्षता में शुक्रवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया. शर्मा ने ‘एक्स’ (पहले ट्विटर) पर लिखा कि अल्पसंख्यक मामले एवं कछार क्षेत्र निदेशालय के माध्यम से मूल असमिया मुसलमानों का सामाजिक-आर्थिक मूल्यांकन किया जाएगा. मंत्रिमंडल की बैठक में छार क्षेत्र विकास निदेशालय का नाम बदलकर अल्पसंख्यक मामले एवं छार क्षेत्र, असम करने का फैसला लिया गया. कैबिनेट ने माघ बिहू के दौरान आयोजित होने वाली पारंपरिक भैंसे और सांडों की लड़ाई की अनुमति देने के लिए विस्तृत प्रक्रिया/मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी करने को भी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी.
राज्य सरकार ने पिछले साल जुलाई में गोरिया, मोरिया, जोलाह (केवल चाय बागानों में रहने वाले), देसी और सैयद (केवल असमिया भाषी) समुदायों को मूल असमिया मुसलमानों के रूप में वर्गीकृत किया था. जिनके पास पहले पूर्वी पाकिस्तान और अब बांग्लादेश से प्रवास का कोई इतिहास नहीं है. पांच उप-समूहों को स्वदेशी के रूप में मान्यता देने का फैसला असम सरकार द्वारा पहले गठित सात उप-समितियों की सिफारिशों पर आधारित था. इस तरह का वर्गीकरण इन समुदायों की लंबे समय से चली आ रही मांग पर आधारित था. जो अक्सर असम के मूल निवासी होने के बावजूद बंगाली भाषी मुसलमानों द्वारा हाशिए पर रखे जाने और उन्हें दरकिनार किए जाने और कोई लाभ नहीं मिलने की शिकायत करते थे.
ये समुदाय 13वीं और 17वीं शताब्दी के बीच इस्लाम में परिवर्तित हो गए. बंगाली भाषी प्रवासियों के विपरीत, उनकी मातृभाषा असमिया है और उनकी सांस्कृतिक प्रथाएं और परंपराएं मूल हिंदुओं के समान हैं. गोरिया और मोरिया अहोम राजाओं के लिए काम करते थे और देसी मूल रूप से कोच-राजबोंगशी थे, जो इस्लाम में परिवर्तित हो गए. चाय बागानों में काम करने के लिए अंग्रेजों द्वारा छोटानागपुर पठार से लाए गए मुसलमानों में जोल्हा जनजाति शामिल है, जबकि सैयद सूफी संतों के अनुयायियों के वंशज हैं.
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2011 की जनगणना के मुताबिक असम की 34 फीसदी से अधिक आबादी मुसलमानों की है. जो लक्षद्वीप और जम्मू-कश्मीर के बाद सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है. राज्य की कुल आबादी 3.1 करोड़ में से 1 करोड़ से अधिक मुस्लिम हैं. हालांकि केवल लगभग 40 लाख मूल निवासी, असमिया भाषी मुस्लिम हैं, और बाकी बांग्लादेशी मूल, बंगाली भाषी आप्रवासी हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 9, 2023, 12:18 IST